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Channel: Navbharat Times

तमिलनाडु में दिवाली पर पटाखे फोड़ने के लिए 2 घंटे का समय तय

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चेन्नै
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए पटाखे फोड़ने के लिए 2 घंटे का समय निर्धारित किया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि लोगों को दिवाली पर सुबह 6 से 7 बजे और शाम को 7 से 8 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जाएगी। सरकार की एक विज्ञप्ति में राज्य के लोगों से कम डेसिबल वाले और कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे फोड़ने का अनुरोध किया गया है।

इसमें कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर तमिलनाडु सरकार सुबह 6 से 7 बजे और शाम को 7 से 8 बजे के बीच पटाखे फोड़ने की अनुमति देती है।’ रिलीज में लोगों से अस्पतालों और पूजा स्थलों के समीप पटाखे ना फोड़ने की अपील की गई है। तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड त्योहार के 7 दिन पहले और 7 दिन बाद वायु गुणवत्ता का अध्ययन करेगा।

राज्य सरकार ने 30 अक्टूबर को कहा था कि वह दिवाली पर पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे के समय का निर्धारण करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संबंध में पक्षकारों से विचार-विमर्श करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखे फोड़ने के लिए रात 8 बजे से 10 बजे तक का समय निर्धारित करने के अपने पहले के आदेश में सुधार करते हुए कहा था कि तमिलनाडु और पुडुचेरी जैसे दक्षिणी राज्यों में समय में बदलाव किया जाएगा लेकिन इसकी अवधि 2 घंटे से ज्यादा नहीं होगी। राज्य में 6 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी।

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मथुरा: ओखला ब्रिज से छोड़ा गया प्रदूषित पानी, यमुना में हजारों मछलियों की हुई मौत

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ओखला ब्रिज से तीन हजार क्यूसेक प्रदूषित पानी छोड़ा गया, जिसने यमुना में मिलकर जहर घोल दिया। इसकी वजह से हजारों मछलियों समेत जलीय जीवों की मौत हो गई है। डीएम मथुरा ने प्रमुख सचिव समेत सिंचाई विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदूषण का स्तर कम होने तक ज्यादा मात्रा में पानी न छोड़ा जाए।ओखला ब्रिज से तीन हजार क्यूसेक प्रदूषित पानी छोड़ा गया, जिसने यमुना में मिलकर जहर घोल दिया। इसकी वजह से हजारों मछलियों समेत जलीय जीवों की मौत हो गई है। डीएम मथुरा ने प्रमुख सचिव समेत सिंचाई विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदूषण का स्तर कम होने तक ज्यादा मात्रा में पानी न छोड़ा जाए।

मात्र 15 से 24 रुपये का मिलेगा साफ हवा का झोंका

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दिल्ली में पलूशन का लेवल खतरनाक स्तर पर तो है ही, देश के कई दूसरे शहर भी वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। कुछ ऐसा ही हाल लखनऊ का भी है। लेकिन अब लोगों के लिए राहत भरी खबर यह है कि वे साफ हवा के झोंके बाजार से खरीद सकते हैं।दिल्ली में पलूशन का लेवल खतरनाक स्तर पर तो है ही, देश के कई दूसरे शहर भी वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। कुछ ऐसा ही हाल लखनऊ का भी है। लेकिन अब लोगों के लिए राहत भरी खबर यह है कि वे साफ हवा के झोंके बाजार से खरीद सकते हैं।

देश के टॉप-10 प्रदूषित शहरों में 8 उत्‍तर प्रदेश से, कानपुर सबसे ज्‍यादा प्रदूषित

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छुट्टी के दिन और सड़कों पर वाहनों की कम आवाजाही के बावजूद पूरा यूपी प्रदूषण के कारण हांफता रहा। देश के टॉप-10 सबसे प्रदूषित शहरों में आठ उत्तर प्रदेश के हैं, जबकि कानपुर की हवा देश भर में सबसे जहरीली रही। छुट्टी के दिन और सड़कों पर वाहनों की कम आवाजाही के बावजूद पूरा यूपी प्रदूषण के कारण हांफता रहा। देश के टॉप-10 सबसे प्रदूषित शहरों में आठ उत्तर प्रदेश के हैं, जबकि कानपुर की हवा देश भर में सबसे जहरीली रही।

लखनऊः चौराहों पर लगाने होंगे एयर प्योरिफायर

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शहर की आबोहवा इतनी बिगड़ चुकी है कि अब व्यस्त चौराहों पर भी एयर प्यूरिफायर लगवाने की जरूरत है। हर साल शहर में वायु और ध्वनि प्रदूषण पर सर्वे करने वाले इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकॉलजी रिसर्च (आईआईटीआर) ने.....शहर की आबोहवा इतनी बिगड़ चुकी है कि अब व्यस्त चौराहों पर भी एयर प्यूरिफायर लगवाने की जरूरत है। हर साल शहर में वायु और ध्वनि प्रदूषण पर सर्वे करने वाले इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकॉलजी रिसर्च (आईआईटीआर) ने.....

लखनऊः NBRI ने तैयार की प्रदूषण कम करने वाले इनडोर और आउटडोर पौधों की लिस्ट

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बढ़ता हुआ प्रदूषण पूरे देश के लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। इससे बचने के लिए लोग तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं। मास्क लगाने से लेकर खान-पान तक लोग विशेष ध्यान दे रहे हैं। बढ़ता हुआ प्रदूषण पूरे देश के लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। इससे बचने के लिए लोग तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं। मास्क लगाने से लेकर खान-पान तक लोग विशेष ध्यान दे रहे हैं।

कोलकाता: 1300 किलो प्रतिबंधित पटाखे जब्त, 566 लोग गिरफ्तार

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कोलकाता
काली पूजा और दिवाली के दो दिनों के उत्सव के दौरान कोलकाता में 1300 किलोग्राम से ज्यादा प्रतिबंधित पटाखे जब्त किए गए हैं। साथ ही कम से कम 566 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि दो दिन में कोलकाता पुलिस को कुल 176 शिकायतें मिलीं। वहीं, शहर के कई हिस्सों में दिवाली के एक दिन बाद गुरुवार को हवा की गुणवत्ता बहुत ही खराब रही।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ईएम बायपास, बेलियाघाट, भवानीपुर, बेहाला, दमदम, कस्बा, पटूली सहित शहर के विभिन्न स्थानों पर छापे मारे गए और इस अभियान के दौरान 1,348.80 किलोग्राम प्रतिबंधित पटाखों की जब्ती हुई। उन्होंने बताया कि दो दिनों में प्रतिबंधित पटाखे फोड़ने के आरोप में 306 लोगों को गिरफ्तार किया गया। कुछ लोगों को हंगामा करने के कारण पकड़ा गया। दो दिनों के पर्व के दौरान कोलकाता पुलिस को कुल 176 शिकायतें मिलीं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मानक डेसिबल ध्वनि सीमा वाले और पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले पटाखों के उत्पादन एवं बिक्री की अनुमति दी है। साथ ही कोर्ट ने दिवाली के मौके पर रात 8 से 10 बजे तक भी पटाखे जलाने की इजाजत दी थी, जबकि क्रिसमस और न्यू इयर के मौके पर रात 11.45 से 12.30 बजे तक की अनुमति दी थी।

कोलकाता के कुछ हिस्सों में दिवाली के एक दिन बाद गुरुवार को हवा की गुणवत्ता बहुत ही खराब रही क्योंकि लोगों ने रात आठ से दस बजे तक पटाखे जलाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया। गुरुवार को शहर के उत्तरी हिस्से में बीटी रोड पर रवींद्र भारती स्वचालित वायु निगरानी केंद्र में पीएम 2.5 का स्तर 330 दर्ज किया गया। मध्य कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल निगरानी केंद्र में यह 373 रहा, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत ही खराब है।

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सोनभद्र: 370 के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक

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वाराणसी
वायु प्रदूषण के मामले में उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला राज्य के सबसे खराब इलाकों में शुमार हो गया है। वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार खराब होने के कारण यहां के लोग रोजाना दस से पंद्रह सिगरेट के बराबर की प्रदूषित हवा लेने को मजबूर है। सोनभद्र जिले में वायू प्रदूषण की भयावहता किस हद तक बढ़ गई है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां दिसंबर महीने के अधिकतर दिन एयर इंडेक्स तीन सौ से ज्यादा रहा है। वहीं 13 दिसंबर को यह आंकड़ा 370 पहुंच गया। इस इलाके में वायु प्रदूषण के कारण पिछले पांच सालों में बीस फीसदी तक कैंसर मरीज बढ़ गए हैं, लेकिन जिले में कैंसर के जांच की कोई व्यवस्था नहीं हैं।

सामान्य तौर लंग्स कैंसर के लिए सिगरेट या धूम्रपान को प्रमुख कारण माना जाता है, लेकिन सोनभद्र और सिंगरौली जिले में वायु प्रदूषण इसका कारण बन रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि हवा में अगर 22 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पीएम 2.5(पार्टिकुलेट मैटर) की मौजूदगी है तो व्यक्ति के फेफड़े में एक सिगरेट के धुएं के बराबर प्रदूषण लगातार पहुंच रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक महीने से सोनभद्र-सिंगरौली का एयरइंडेक्स 242 से 370 तक बना हुआ है। इस आंकड़े पर ध्यान दें तो सोनभद्र-सिंगरौली के प्रदूषण प्रभावित एरिया में रहने वाले लोग रोजाना दस से 15 सिगरेट के बाराबर प्रदूषण पीने को विवश हैं।

पांच सालों में बीस फीसदी तक बढ़े कैंसर मरीज
सोनभद्र में प्रदूषण से जुड़े मसलों पर अनुसंधान कर रही एक संस्था का दावा है कि जिले की प्रदूषण प्रभावित इलाके में महज पांच सालों में दस से बीस फीसद तक कैंसर के मरीज बढ़ गए हैं। पावर हब कहे जाने वाले अनपरा गांव की पुरानी बस्ती में जहां दस सालों में कैंसर और दमा से २० से अधिक लोगों के मौत की बात सामने आई है। वहीं अभी भी कई लोग कैंसर सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, जिन्हें बीएचयू से लेकर पीजीआई तक का चक्कर लगाना पड़ रहा है। इसी तरह म्योरपुर ब्लॉक के करहिया गांव में कैंसर से डेढ़ साल में चार, कुसुम्हा में चार साल में चार, रासपहरी में तीन साल में तीन और रनटोला में तीन साल में पांच लोगों के मौत की बात सामने आ रही है।

पढ़ें: यूपी का सोनभद्र जिला, जहां जिंदगी का रंग पड़ जाता है काला

कैंसर सहित अन्य जानलेवा बीमारियां होने का खतरा
पीसीआई देहरादून के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. अनिल गौतम ने बताया कि पीएम 2.5 या इससे छोटे कण शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी हवा में प्रति घनमीटर 22 माइक्रोग्राम मौजूदगी एक सिगरेट के बराबर है। यह सांस के जरिए नाक से होते हुए फेफड़े में जमा हो जाते हैं। अगर कण का आकार एक माइक्रान से कम है तो वह सीधे खून तक पहुंच जाता है, जिससे इंसान को कैंसर सहित अन्य गंभीर और जानलेवा बीमारियां होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

यह भी पढ़ें: अब 'मां करे पुकार' से सोनभद्र के गांवों में प्रदूषण पर प्रहार

जिले में
कैंसर के जांच की कोई व्यवस्था नहीं

इस गंभीर समस्या से लड़ने के लिए राज्य सरकार की जिले में कोई तैयारी नहीं दिख रही। लापरवाही का आलम यह है कि जिले में कैंसर के जांच की भी सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है। सोनभद्र के सीएमओ डॉ. एसपी सिंह ने बताया लंग कैंसर के जांच के लिए जिले में कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए यहां इसकी क्या स्थिति है? बता पाना संभव नहीं है। अगर इसको लेकर कोई रिपोर्ट सामने आती है तो इसके अध्ययन को लेकर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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